Meerut News: सिवालखास से रालोद विधायक गुलाम मोहम्मद ने यति नरसिंहानंद के हालिया बयान की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि नरसिंहानंद का बयान न केवल आपत्तिजनक है, बल्कि यह शांति के दुश्मन की मानसिकता को दर्शाता है। विधायक ने यह भी कहा कि ऐसे बयानों के लिए उन्हें कड़ी सजा मिलनी चाहिए, क्योंकि यह करोड़ों लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं।
प्रेस वार्ता के दौरान गुलाम मोहम्मद ने कहा, “नबी पैगंबर मोहम्मद और मुस्लिम धर्म की सर्वोच्च धार्मिक पुस्तक के खिलाफ इस तरह के आपत्तिजनक शब्द किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किए जा सकते हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि नरसिंहानंद की भड़काऊ भाषणों ने मुसलमानों के बीच एक भावनात्मक संकट पैदा किया है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि किसी भी लोकतांत्रिक समाज में बोलने की आजादी होती है, लेकिन यह नफरत फैलाने और धार्मिक भावनाओं को आहत करने का लाइसेंस नहीं देती है। गुलाम मोहम्मद ने मुख्यमंत्री से मिलकर यति नरसिंहानंद के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की मांग करने का निर्णय लिया है। उनका कहना था कि हिंसा का समर्थन नहीं किया जाना चाहिए और समाज के लोगों को अपनी बात शांतिपूर्ण तरीके से रखने की आवश्यकता है।
गुलाम मोहम्मद ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “समाज में एकता बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना हर नागरिक का कर्तव्य है। ऐसे बयानों से केवल तनाव और हिंसा बढ़ेगी, जो कि किसी भी समाज के लिए ठीक नहीं है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत एक विविधता भरा देश है, जहां विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों का सह-अस्तित्व है। इस विविधता को बनाए रखना और सभी धर्मों का सम्मान करना आवश्यक है। विधायक ने कहा कि ऐसे भड़काऊ बयानों के खिलाफ उठने वाली आवाजें मजबूत होनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई भी ऐसा बयान देने से पहले दो बार सोचे।
गुलाम मोहम्मद ने अंत में कहा, “हम सभी को मिलकर इस नफरत के खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी। यह समय है कि हम सभी एकजुट होकर शांति और सौहार्द का माहौल बनाएं।”
रालोद विधायक की इस प्रतिक्रिया ने इस मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण बहस को जन्म दिया है। अब यह देखना होगा कि क्या राज्य सरकार यति नरसिंहानंद के खिलाफ कोई कार्रवाई करती है या नहीं।