लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने उत्तर प्रदेश में नए जिला अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया तेज कर दी है। पार्टी 20 जनवरी से पहले जिला अध्यक्षों की सूची जारी करने की योजना बना रही है। हालांकि, कई जिलों में जिला अध्यक्ष पद को लेकर गहराए विवादों के चलते अंतिम निर्णय लेना मुश्किल हो गया है। पार्टी ने इस स्थिति से निपटने के लिए सूची को दो चरणों में जारी करने का विचार किया है।
98 जिलों में संगठनात्मक ढांचा, 80 जिलों में सहमति
भाजपा ने संगठनात्मक आधार पर उत्तर प्रदेश को 98 जिलों में बांटा है। इनमें से 75-80 जिलों में जिला अध्यक्षों के नामों पर लगभग सहमति बन चुकी है। लेकिन 18-20 जिलों में मामला उलझा हुआ है। जिन जिलों में आंतरिक कलह या दावेदारों की संख्या अधिक है, वहां का फैसला फिलहाल रोका जा सकता है। इन जिलों में निर्णय प्रदेश अध्यक्ष और अन्य वरिष्ठ नेताओं की सहमति के बाद लिया जाएगा।
फैसला दो चरणों में हो सकता है
सियासत के जानकारों के अनुसार, भाजपा विवादित जिलों को छोड़कर उन जिलों की सूची पहले जारी करेगी, जहां जिला अध्यक्ष के नाम पर सहमति बनी हुई है। विवादित जिलों के लिए स्क्रीनिंग प्रक्रिया जारी है और उनका फैसला यूपी के नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन के बाद हो सकता है।
दावेदारों की लंबी कतार, लखनऊ में गहमागहमी
भाजपा कार्यालय में इन दिनों दावेदारों की भीड़ देखी जा रही है। जिला अध्यक्ष पद के लिए बड़ी संख्या में दावेदार अपने पक्ष में समीकरण बनाने की कोशिश कर रहे हैं। स्क्रीनिंग के दौरान हर जिले के सामाजिक समीकरण और दावेदार की लोकप्रियता पर विचार किया जा रहा है।
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बैठकों में दिग्गज नेता करेंगे निर्णय
17 जनवरी को दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेताओं की बैठक होगी। बैठक में प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह, और प्रदेश चुनाव अधिकारी महेंद्र नाथ पांडेय शामिल होंगे। बैठक में हर जिले के समीकरण पर चर्चा होगी। माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद 20 जनवरी तक 75-80 जिलों के जिला अध्यक्षों की घोषणा हो सकती है।
पार्टी के भीतर आंतरिक कलह और चुनौती
भाजपा में जिला अध्यक्ष बनने के लिए दावेदारों की लंबी कतार ने पार्टी के लिए चुनौती बढ़ा दी है। लखनऊ स्थित कार्यालय में पूरे दिन कार्यकर्ताओं की भीड़ रहती है। इस दौरान पार्टी के जिला चुनाव अधिकारियों ने पांच-पांच नामों की सूची प्रदेश चुनाव समिति को सौंपी है।
जिलों में सामाजिक समीकरण का ध्यान
जिला अध्यक्षों के चयन में पार्टी सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रख रही है। इसमें जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। पार्टी का मानना है कि इस कदम से आगामी लोकसभा चुनाव में मजबूती मिलेगी।
भाजपा की रणनीति पर नजरें
भाजपा के जिला अध्यक्षों की नियुक्ति न केवल संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करेगी, बल्कि 2024 लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी की तैयारियों में भी अहम भूमिका निभाएगी। हालांकि, आंतरिक मतभेद और दावेदारों की संख्या पार्टी के लिए चुनौती बन सकती है।
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Web Title: List of BJP district presidents will be released soon, this decision can be taken on disputed seats. Read the full news!