मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बोले – “यह मंदिर हमारी चिरस्थायी विरासत और इतिहास की सच्चाई का प्रमाण है
संभल, उत्तर प्रदेश – उत्तर प्रदेश के संभल जिले में प्रशासन के अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान 46 वर्ष बाद एक प्राचीन मंदिर का खुलासा हुआ है। इस घटना ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
मंदिर मिलने की घटना पर अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया
मंदिर मिलने के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि सच कभी दबाया नहीं जा सकता, क्योंकि सच तो सच होता है। अखिलेश यादव ने कहा, “इस तरह की ड्राइव भारत में कहीं भी कर दी जाए, तो मंदिर मिल जाएगा। हमें इतिहास में उलझने के बजाय भविष्य की बात करनी चाहिए। आज के समय में गंगा नदी की सफाई और उत्तर प्रदेश के साथ हो रहे भेदभाव पर बात होनी चाहिए।”
अखिलेश ने कुंभ मेले का जिक्र करते हुए कहा कि “कुंभ को व्यावसायिक आयोजन में तब्दील किया जा रहा है। साधु-संतों को वह सम्मान नहीं मिल रहा, जिसके वे हकदार हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि सच्चाई को चाहे जितना दबाने की कोशिश हो, वह सामने जरूर आती है। लेकिन आज की बड़ी चिंता यह होनी चाहिए कि उत्तर प्रदेश का विकास कैसे हो।
योगी आदित्यनाथ का जवाब
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश यादव के बयान पर तीखा पलटवार किया। उन्होंने संभल में मंदिर की ऐतिहासिकता पर जोर देते हुए कहा कि यह मंदिर रातोंरात नहीं प्रकट हुआ है, बल्कि यह “हमारी चिरस्थायी विरासत और हमारे इतिहास की सच्चाई को दर्शाता है।”
योगी आदित्यनाथ ने 46 वर्ष पहले संभल में हुई हिंसा का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय निर्दोष लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया, “1978 में हुए इस नरसंहार के अपराधियों को आखिर दशकों बाद भी अदालत में कठघरे में क्यों नहीं लाया गया?”
उन्होंने कहा कि सच्चाई को दबाने और सांस्कृतिक आयोजनों जैसे कुंभ को कलंकित करने की कोशिशें की जाती हैं, लेकिन “सच्चाई को दबाया नहीं जा सकता और न ही धमकियों से इसे चुप कराया जा सकता है।”
मंदिर कैसे मिला?
46 साल पहले सांप्रदायिक तनाव के चलते संभल के इस प्राचीन मंदिर को बंद कर दिया गया था। हाल ही में प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के अभियान के दौरान इस मंदिर का दोबारा खुलासा किया। इस मंदिर में बजरंग बली की प्राचीन मूर्ति और एक ज्योतिर्लिंग भी मौजूद हैं, जो इसकी ऐतिहासिक महत्ता को बढ़ाते हैं।
इतिहास और राजनीति का टकराव
संभल में मंदिर मिलने की घटना से राजनीतिक बहस तेज हो गई है। एक ओर जहां मुख्यमंत्री योगी इसे “हमारी सांस्कृतिक विरासत” बता रहे हैं, वहीं अखिलेश यादव ने इसे “भविष्य की चिंता करने की जरूरत” बताई है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में आगामी चुनावों के मद्देनजर इस घटना को धार्मिक और राजनीतिक मुद्दे के रूप में उछाला जा रहा है।
जनता की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर जनता की मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ लोग इसे “भारतीय विरासत का पुनरुद्धार” मान रहे हैं, जबकि कुछ लोगों का मानना है कि नेताओं को इस मुद्दे पर राजनीति करने के बजाय विकास की बात करनी चाहिए।
सौ बात की एक बात..
संभल में 46 साल बाद मिले मंदिर ने राजनीति और समाज में नई बहस छेड़ दी है। जहां योगी आदित्यनाथ इसे “सांस्कृतिक सत्य” कह रहे हैं, वहीं अखिलेश यादव “भविष्य पर ध्यान देने” की बात कर रहे हैं। इस घटनाक्रम ने यह भी सवाल खड़ा किया है कि क्या अतीत की घटनाओं को मुद्दा बनाकर भविष्य के विकास को नजरअंदाज किया जा रहा है?
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