मेरठ में पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा के दौरान भगदड़, महिलाएं और बुजुर्ग घायल

मेरठ। शताब्दी नगर में चल रही प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथा के दौरान शनिवार को भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में कई महिलाएं और बुजुर्ग घायल हो गए। यह घटना कथा के छठे दिन हुई, जब बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा सुनने आए थे। सूत्रों के अनुसार, सुरक्षा व्यवस्था न होने और कार्यक्रम स्थल पर अत्यधिक भीड़ के कारण यह हादसा हुआ।

भीड़ और अव्यवस्था बनी हादसे की वजह

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कथा स्थल में प्रवेश के लिए महिलाएं लंबी कतार में खड़ी थीं। इसी बीच बाउंसरों ने प्रवेश प्रक्रिया शुरू की, लेकिन भीड़ को संभाल नहीं पाए। धक्का-मुक्की शुरू हुई तो भगदड़ मच गई, जिससे कई महिलाएं और बुजुर्ग जमीन पर गिर गए। भीड़ इतनी अधिक थी कि उन्हें उठाने का समय ही नहीं मिला।

घटना के समय चुनाव आयोग के निदेशक के परिवार के सदस्य और कई वीआईपी अतिथि भी कथा स्थल पर मौजूद थे। आयोजकों ने वीआईपी अतिथियों के लिए विशेष व्यवस्था की थी, जिससे आम श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ गई। प्रतिदिन करीब डेढ़ लाख श्रद्धालु कथा सुनने आ रहे थे, लेकिन सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं थे। प्रशासन की लापरवाही पर उठे सवाल कथा के छठे और अंतिम दिन सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होनी चाहिए थी, लेकिन पुलिस और प्रशासन ने इस पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया। भीड़ को संभालने के लिए पर्याप्त सुरक्षाकर्मी नहीं थे, जिसके कारण यह हादसा हुआ।

भगदड़ की सूचना मिलने के बाद पुलिस और प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची और स्थिति को संभालने का प्रयास किया। घायलों के उपचार और जांच के आदेश घटना में घायल लोगों को तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया। प्रशासन ने घायलों के उपचार का खर्च उठाने का आश्वासन दिया है। जिला प्रशासन ने इस भगदड़ की जांच के आदेश दिए हैं और यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि सुरक्षा में कहां चूक हुई। श्रद्धालुओं में गुस्सा घटना के बाद श्रद्धालुओं में गुस्सा देखा गया। लोगों का कहना है कि आयोजकों ने इतनी बड़ी भीड़ को संभालने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं किए थे। स्थानीय लोगों का भी कहना है कि प्रशासन को पहले से ही इतनी भीड़ का अनुमान लगाकर बेहतर सुरक्षा व्यवस्था करनी चाहिए थी।

शिव महापुराण कथा का महत्व

पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथा धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। कथा सुनने के लिए हर दिन लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं। इस आयोजन में श्रद्धालुओं की संख्या इतनी अधिक थी कि सुरक्षा और प्रबंधन एक बड़ी चुनौती बन गई।

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