West UP News: नए साल में महंगी हो सकती है खेती, जानिए डीएपी खाद पर सब्सिडी खत्म होने का पूरा असर!, पढ़ें पूरी जानकारी

क्या आपके खेत पर असर पड़ेगा? पढ़ें, नए साल में कैसे महंगी हो सकती है खेती और डीएपी खाद पर सब्सिडी खत्म होने का क्या मतलब है।

West UP News: नए साल की शुरुआत किसानों के लिए एक नई चुनौती लेकर आ सकती है। खेती में इस्तेमाल होने वाली सबसे महत्वपूर्ण खादों में से एक, डीएपी (डाई-अमोनियम फॉस्फेट), की कीमतें बढ़ने की संभावना है। केंद्र सरकार द्वारा किसानों को सस्ते दाम पर डीएपी उपलब्ध कराने के लिए दी जाने वाली विशेष सब्सिडी 31 दिसंबर को समाप्त हो रही है। अगर इसे आगे नहीं बढ़ाया गया, तो डीएपी खाद के दामों में 200 रुपये प्रति बैग तक की बढ़ोतरी हो सकती है।

डीएपी खाद की मौजूदा स्थिति

फिलहाल किसानों को 50 किलो का एक बैग डीएपी 1350 रुपये में मिल रहा है। लेकिन, सब्सिडी समाप्त होने और कच्चे माल की बढ़ती कीमतों के कारण यह कीमत बढ़ने की पूरी संभावना है। पिछले दो वर्षों में डीएपी के दाम पहले ही 1200 रुपये से बढ़कर 1350 रुपये हो गए हैं।

सब्सिडी की योजना और भविष्य

केंद्र सरकार 2010 से “पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस)” योजना चला रही है, जिसमें फॉस्फेट और पोटाश खाद को सब्सिडी दी जाती है। डीएपी पर अलग से विशेष सब्सिडी भी दी जाती है, जिससे यह खाद सस्ती दरों पर किसानों को मिलती है। खरीफ सीजन 2023 में यह सब्सिडी 21,676 रुपये प्रति टन थी, जिसे रबी सीजन 2024-25 के लिए बढ़ाकर 21,911 रुपये प्रति टन किया गया है।

हालांकि, अगर विशेष सब्सिडी की अवधि नहीं बढ़ाई गई, तो डीएपी की लागत सीधे किसानों पर पड़ेगी।

क्यों बढ़ रही हैं कीमतें?

डीएपी बनाने में उपयोग होने वाले फॉस्फोरिक एसिड और अमोनिया की अंतरराष्ट्रीय कीमतें पिछले कुछ महीनों में 70% तक बढ़ चुकी हैं। इसके अलावा, डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने से आयात लागत भी बढ़ गई है। वैश्विक बाजार में डीएपी की मौजूदा कीमत 630 डॉलर प्रति टन है।

किसानों पर संभावित असर

अगर सब्सिडी बंद होती है, तो 50 किलो के एक बैग की कीमत 200 रुपये तक बढ़ सकती है। देश में डीएपी की मांग 93 लाख टन है, जिसमें से 90% आयात के जरिए पूरी होती है। सब्सिडी बंद होने का सीधा असर किसानों की जेब पर पड़ेगा, जिससे खेती की लागत बढ़ेगी और उनकी आय पर दबाव बनेगा।

उद्योग जगत की प्रतिक्रिया

विशेष सब्सिडी न होने पर इसका बोझ खाद निर्माता कंपनियों और उद्योगों पर पड़ेगा। पहले ही बढ़ी आयात लागत और कमजोर रुपये की वजह से इन कंपनियों को घाटा हो रहा है। ऐसे में, या तो कंपनियां उत्पादन कम करेंगी, या फिर बढ़ी हुई कीमत का भार किसानों पर डालेंगी।

सरकार से उम्मीदें

किसान संगठनों ने सरकार से आग्रह किया है कि डीएपी पर विशेष सब्सिडी की अवधि बढ़ाई जाए, ताकि खेती की लागत को नियंत्रित किया जा सके। सरकार का यह कदम न केवल किसानों की मदद करेगा, बल्कि खाद की उपलब्धता और कृषि उत्पादन को बनाए रखने में भी सहायक होगा।

Sau Baat Ki Ek Baat..

नए साल में किसानों के सामने नई चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं। सब्सिडी खत्म होने और खाद के दाम बढ़ने से खेती महंगी होगी, जिसका असर देश की कृषि व्यवस्था पर पड़ सकता है। सरकार के अगले कदम पर पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं।

यह विस्तृत लेख किसानों, कृषि विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं के लिए उपयोगी साबित होगा।

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