माता अन्नपूर्णा की कृपा से हमारे अन्न भंडार सदैव अक्षय बने रहें। आइए, इस जयंती पर अन्न का आदर करने और जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचाने का संकल्प लें। 🙏🌾 #AnnapurnaJayanti”
पढ़ें पूरी खबर और जानें मां अन्नपूर्णा जयंती का महत्व! | Annapurna Jayanti
मां अन्नपूर्णा जयंती पर देशभर में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन, समृद्धि और अन्न के भंडारों के लिए प्रार्थना
संपूर्ण सृष्टि में सभी प्राणियों का भरण-पोषण करने वाली माता अन्नपूर्णा की जयंती 15 दिसंबर 2024 को देशभर में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाई गई। यह पवित्र पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। माता अन्नपूर्णा को अन्न और समृद्धि की देवी माना जाता है, जिनकी कृपा से धरती पर अन्न भंडार भरे रहते हैं।
इस अवसर पर विभिन्न मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर भक्तों ने माता अन्नपूर्णा की पूजा-अर्चना की। विशेष रूप से उत्तर भारत में वाराणसी स्थित मां अन्नपूर्णा मंदिर में भव्य आयोजन हुआ, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने दर्शन कर अपनी मनोकामनाएं व्यक्त कीं।
देश के कई हिस्सों में धार्मिक कार्यक्रमों के साथ-साथ भंडारे और अन्नदान के आयोजन किए गए। भक्तों ने गरीब और जरूरतमंदों को भोजन वितरित कर इस पर्व को सार्थक बनाया।
समृद्धि और अन्न भंडारों के लिए प्रार्थना
इस जयंती के मौके पर हर किसी ने माता अन्नपूर्णा से प्रार्थना की कि देश और प्रदेश के अन्न भंडार हमेशा अक्षय बने रहें। यह पर्व हर व्यक्ति को अन्न की महत्ता और इसे बर्बाद न करने का संदेश देता है।
आधुनिक समय में, जब खाद्य सुरक्षा और कुपोषण जैसी चुनौतियां सामने हैं, मां अन्नपूर्णा की आराधना हमें इस बात की याद दिलाती है कि हमें अन्न का आदर और इसकी रक्षा करनी चाहिए।
सांस्कृतिक महत्व
माता अन्नपूर्णा का नाम संस्कृत के दो शब्दों ‘अन्न’ और ‘पूर्णा’ से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है अन्न से परिपूर्ण। यह जयंती न केवल आध्यात्मिक बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसे मनाने का उद्देश्य हर व्यक्ति के जीवन में अन्न की महत्ता को उजागर करना और समृद्धि का प्रसार करना है।
सोशल मीडिया पर ट्रेंड
#AnnapurnaJayanti के नाम से सोशल मीडिया पर भी यह पर्व ट्रेंड करता रहा। हजारों श्रद्धालुओं ने माता अन्नपूर्णा के संदेश और तस्वीरें साझा कर इस विशेष दिन की शुभकामनाएं दीं।