मेरठ में भाजपा नेता कमल दत्त शर्मा ने थाने में किया हंगामा, पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप
मेरठ: उत्तर प्रदेश के मेरठ में भाजपा नेता कमल दत्त शर्मा ने थाने में तब हंगामा किया जब पुलिस ने उनकी शिकायत पर उचित कार्रवाई नहीं की। घटना रेलवे रोड थाने की है, जहां कमल दत्त शर्मा अपने समर्थकों के साथ पहुंचे और पुलिसकर्मियों को जमकर फटकार लगाई। इस पूरे मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें भाजपा नेता का दबंग अंदाज साफ दिखाई दे रहा है।
हंगामे की वजह
कमल दत्त शर्मा की नाराजगी की वजह शहर में अवैध रूप से चल रही प्राइवेट बसों का मामला था। भाजपा के पूर्व पार्षद रमेश प्रधान ने शर्मा से शिकायत की थी कि ईदगाह पर अवैध डबल डेकर बसें खड़ी हैं, जो अवैध रूप से माल और सवारियां ढोती हैं। शर्मा ने इस मुद्दे पर इंस्पेक्टर आनंद गौतम से फोन पर बात की, लेकिन पुलिसकर्मियों ने उन्हें थाने आकर शिकायत दर्ज कराने को कहा, जिससे वह और भी भड़क गए।
थाने पहुंचकर किया हंगामा
रात करीब 11 बजे कमल दत्त शर्मा अपने 50 समर्थकों के साथ रेलवे रोड थाने पहुंचे। उन्होंने थाने के बाहर नारेबाजी की और पुलिसकर्मियों को धमकाया। थाने में करीब एक घंटे तक हंगामा चलता रहा। भाजपा नेता कुर्सी पर बैठकर एसएचओ को धमका रहे थे, जबकि उनके पीछे एसएचओ आनंद गौतम खड़े थे।
इस दौरान कमल दत्त शर्मा ने कहा, “सुनिए इंस्पेक्टर साहब, चुनाव में हमें 80,320 वोट मिले हैं। ध्यान रखिए, एक शेर को सवा शेर मिलते हैं।” उन्होंने एसएचओ को शिष्टाचार सीखने की सलाह भी दी और कहा कि “कोई आपको सूचना दे रहा है और आप उसे थाने बुला रहे हैं।”
पुलिस का रुख
इस पूरी घटना के दौरान एसएचओ आनंद गौतम चुप रहे और उनकी बातें सुनते रहे। बाद में उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की और कहा कि अवैध बसों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस पर शर्मा ने कहा कि उन्हें माफी नहीं, कार्रवाई चाहिए।
जनता की सुरक्षा और पुलिस की जिम्मेदारी
कमल दत्त शर्मा ने पुलिसकर्मियों को चेतावनी देते हुए कहा कि “अगर कोई आपसे फोन पर शिकायत कर रहा है तो क्या आप उसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे या उसे थाने बुलाने को कहेंगे?” उन्होंने कहा कि “आप लोग बाइक और कार का चालान करते हैं, जबकि आपकी नाक के नीचे यह सब हो रहा है। जीएसटी चोरी चल रही है।”
पुलिस प्रशासन की प्रतिक्रिया
इस पूरे मामले में एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने कहा कि पुलिस और भाजपा नेता के बीच कुछ गलतफहमी हुई थी। उन्होंने कहा कि पुलिस मामले की जांच करेगी और उचित कार्रवाई करेगी। इसके बाद मामला शांत हुआ और कमल दत्त शर्मा अपने समर्थकों के साथ थाने से चले गए।
यह घटना इस बात का सबूत है कि स्थानीय नेता किस तरह पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाकर अपनी बात मनवा सकते हैं। इस तरह के हंगामे से यह भी पता चलता है कि जनता के मुद्दों पर राजनीति कितनी सक्रिय है। जबकि पुलिस को जनता की शिकायतों पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए और उचित कार्रवाई करनी चाहिए।
इस घटना ने सवाल खड़ा कर दिया है कि पुलिस कार्रवाई में राजनीति का हस्तक्षेप उचित है या नहीं? इस तरह के हंगामे से स्थानीय प्रशासन की स्थिति पर भी सवाल उठते हैं और यह भी पता चलता है कि राजनीतिक दबाव के आगे पुलिस कितनी बेबस है।
Web Title: Kamal Dutt Sharma’s uproar in the police station: Pressure of 80 thousand votes and complaint of illegal buses