अंजुमन तामीरे अदब (कारवाने हक़) की मासिक गोष्ठी में Urdu साहित्य का जलवा, कवियों ने छुए दिल के तार

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बलरामपुर: अंजुमन तामीरे अदब (कारवाने हक़) द्वारा आयोजित मासिक गोष्ठी ने बलरामपुर में साहित्य प्रेमियों को एकजुट किया। यह कार्यक्रम जामिया इस्लामिक अरबिक प्राइमरी स्कूल, नौशहरा, बलरामपुर में आयोजित हुआ। साहित्य और कविताओं के इस उत्सव में न केवल उर्दू भाषा की गहराई और समृद्धि को महसूस किया गया, बल्कि कवियों की भावनाओं ने मानवता और सभ्यता के नए आयाम भी उजागर किए।

इस आयोजन की अध्यक्षता डॉ. अब्दुल अजीज ने की, जबकि संचालन युवा कवि तनवीर साकिब ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में अल्पसंख्यक समाज के प्रांतीय सचिव राशिद मलिक उपस्थित रहे।

Urdu साहित्य के प्रति जुनून का प्रदर्शन

डॉ. अब्दुल अजीज ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि यह गोष्ठी साहित्य के प्रति जुनून और सेवा का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि जिस दौर में उर्दू साहित्य कई चुनौतियों और उपेक्षाओं से गुजर रहा है, ऐसे में इस तरह की गोष्ठियां साहित्य को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

डॉ. अजीज ने कहा,

“कविता हमेशा से क्रांति, परिवर्तन और उच्च मूल्यों के संचरण का सबसे प्रभावी माध्यम रही है। यह मानवता के मूल्यों को बनाए रखने का कार्य करती है।”

कविताओं में छुपा जीवन का सार

इस कार्यक्रम में कई प्रतिभाशाली कवियों ने अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं। उनकी रचनाएं केवल शब्द नहीं थीं, बल्कि उनके भीतर गहरे भाव, संघर्ष, और मानवीय संवेदनाओं की झलक थी।

चयनित पंक्तियां:

  • डॉ. अब्दुल अजीज:
    “बदहाली से मायूस न हो कुछ उस के तकाज़े को भी समझ।
    तू ढूंढ अंधेरे में इसको तक़दीर के ज़ीने होते हैं।”
  • तनवीर साकिब:
    “हिज्र की शब क्या हुआ साकिब न मुझसे पूछिए
    सिलसिले सब रुक गये दिल हाथ से जाता रहा।”
  • ओवैस मोनिस:
    “खुलने लगे हैं राज़ सभी होशियार के
    अब दिन बचे नहीं हैं बहुत इक़्तेदार के।”
  • शाहरुख़ साहिल:
    “तुम कहां जाओगे साहिल ज़िंदगी को छोड़कर
    ज़िंदगी तो एक दिन ख़ुद ही जुदा हो जायेगी।”
  • डॉ. शम्सुर्रहमान शम्स:
    “वो एक रोज़ जो मेहमान बन गया था मिरा
    किसी तरह भी न देखा गया ज़माने से।”
  • मन्नान तुलसीपुरी:
    “बे इजाज़त ही जाते हैं ज़हन में
    बे तकल्लुफ बहुत हैं ख़्याल आपके।”

साहित्य की स्थिति पर चर्चा

डॉ. अब्दुल अजीज ने वर्तमान साहित्यिक स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उर्दू साहित्य और इसके कवि संघर्षरत हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग साहित्य की सेवा कर रहे हैं, वे मानवता के लिए दीपक जलाए रखेंगे।

उन्होंने कहा:

“मानवता की आत्मा को बचाने के लिए साहित्यिक सेवक हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे। यह कार्य चाहे पुरस्कार मिले या न मिले, फिर भी साहित्य का दीया बुझने नहीं दिया जाएगा।”

साहित्यिक माहौल और श्रोताओं की सराहना

कार्यक्रम में उपस्थित श्रोताओं ने कविताओं का भरपूर आनंद लिया और कवियों की रचनाओं की भूरी-भूरी प्रशंसा की।

कविता पाठ में शामिल प्रमुख कवियों में ए.एन. पाण्डेय और आशीष वर्मा भी थे। उनकी रचनाओं ने श्रोताओं को सोचने पर मजबूर किया और तालियों की गड़गड़ाहट से पूरे आयोजन स्थल को गूंजायमान कर दिया।

कार्यक्रम का समापन

अंत में, अंजुमन के महासचिव ओवैस मोनिस ने सभी कवियों और श्रोताओं का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन उर्दू साहित्य को जीवंत रखने और युवा पीढ़ी को प्रेरित करने का माध्यम हैं। कार्यक्रम के दौरान जैद मलिक, फैज खान, तारिक खान सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी मौजूद रहे।

Sau Baat Ki Ek Baat ..

अंजुमन तामीरे अदब (कारवाने हक़) द्वारा आयोजित यह मासिक गोष्ठी साहित्यिक धरोहर को संरक्षित और प्रोत्साहित करने का एक सशक्त प्रयास है। इस तरह के आयोजन न केवल साहित्यकारों को मंच प्रदान करते हैं, बल्कि भाषा और संस्कृति को आगे बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

Web Title: Urdu literature shines in Anjuman Tameer Adab (Karwane Haq) monthly seminar, poets touched the hearts

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