46 साल बाद खुला शिव मंदिर 🙏🏻✨ | प्रशासन की पहल से संभल के खग्गू सराय में गूंजी घंटियों की आवाज। दंगों के बाद बंद पड़े इस मंदिर को श्रद्धालुओं ने किया फिर से आबाद। #UPNews #ShivMandir”
Sambhal News: उत्तर प्रदेश के संभल जिले के खग्गू सराय मोहल्ले में 46 साल बाद बंद पड़े एक प्राचीन शिव मंदिर के दरवाजे फिर से खुले। यह मंदिर 1978 के दंगों के दौरान हिंदू परिवारों के पलायन के कारण बंद हो गया था। शनिवार को प्रशासन द्वारा चलाए गए अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान इस मंदिर की पहचान हुई और रविवार को यहां श्रद्धालुओं ने आरती और पूजा-अर्चना की।
जिला प्रशासन ने मंदिर के पुनरुद्धार के लिए विशेष प्रयास किए। डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया और एसपी ने शनिवार को अपनी देखरेख में मंदिर के ताले खुलवाए। पुलिस बल की मौजूदगी में मंदिर परिसर की सफाई कराई गई, और मंदिर को फिर से पूजा के योग्य बनाया गया।
मुस्लिम बहुल क्षेत्र में 46 साल से बंद था मंदिर
खग्गू सराय, जो मुस्लिम बहुल इलाका है, में यह प्राचीन शिव मंदिर एक बंद मकान के भीतर स्थित था। 1978 के दंगों के दौरान हिंदू परिवारों ने यह इलाका छोड़ दिया था। स्थानीय लोगों के अनुसार, उस समय यहां करीब 40 हिंदू परिवार (मुख्यतः रस्तोगी समुदाय) रहते थे। दंगों के बाद इन परिवारों ने अपने मकान बेच दिए और अन्य मोहल्लों में चले गए।
प्रशासन की पहल से हुआ पुनरुद्धार
डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने बताया, “हमें सूचना मिली थी कि खग्गू सराय में एक प्राचीन मंदिर है। मंदिर के दरवाजे खुलवाकर सफाई कराई गई। परिसर में बने कुएं को भी पुनः खोदा गया, जो मंदिर बंद होने के बाद पाट दिया गया था।” अधिकारियों ने यह भी बताया कि अब मंदिर की सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात कर दिया गया है और यहां सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।
श्रद्धालुओं में उत्साह
रविवार की सुबह मंदिर में आरती हुई, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। मंदिर के पुनरुद्धार से हिंदू समुदाय में खुशी की लहर है। 82 वर्षीय विष्णु शरण रस्तोगी, जिनका परिवार कभी इस इलाके में रहता था, ने कहा, “यह हमारे पूर्वजों का मंदिर है। यह देखकर खुशी हो रही है कि प्रशासन ने इसे फिर से आबाद किया है।”
पुरातात्त्विक महत्व की जांच होगी
मंदिर कितना पुराना है, इसकी जांच के लिए पुरातत्व विभाग को भी सूचित किया गया है। डीएम ने कहा, “संभल के विलुप्त तीर्थ स्थलों और कुंओं को संवारने का काम प्राथमिकता के साथ किया जाएगा।”
मंदिर के लिए भविष्य की योजनाएं
प्रशासन ने मंदिर के रखरखाव और यहां नियमित पूजा-अर्चना सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाने का आश्वासन दिया है। स्थानीय हिंदू समुदाय ने भी मंदिर के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने की बात कही है।
46 साल बाद पुनर्जीवित हुई आस्था
मंदिर में रविवार शाम को भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे। घंटियों की गूंज और श्रद्धालुओं के जयकारों ने मंदिर को जीवंत कर दिया।
यह खबर संभल जिले की सांस्कृतिक धरोहर और प्रशासन की पहल का उदाहरण है, जो लोगों के आस्था के केंद्रों को जीवित रखने के लिए समर्पित है।